Saturday, October 4, 2008

ABOUT ME:मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगरइस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती।मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता औरजिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती।युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता औरजिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती।ये सिलसिला यहीं चलता रहताफिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा"तुम हार कर भी मुस्कुराते हो!क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का?"तब मैंनें कहामुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगेजिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैंतब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगाएक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगाबीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगामैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी....

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